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कल की परछांई लेखनी प्रतियोगिता -16-Aug-2022


              शीर्षक:-  कल की परछांई
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     अचानक शंकर की पत्नी की तबियत बहुत खराब होगयी। शंकर का बेटा रमाकांत उनके गाँव से दूर शहर में अपनी पत्नी के साथ रहता था।

    शंकर ने अपनी पत्नी का हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और रोने लगे। उनको अपने पुराने दिन याद आगये जब उनकी सविता के साथ शादी हुई थी। तब से आज तक सविता ने अपने पति का हर मुश्किल में साथ दिया था। वह हर परेशानी मे उनके साथ खडी़ रही थी। 

       सविता शंकर की परछांई थी। उसने घर को कैसे चलाया जाता है सविता से ही सीखा था। सविता स्वयं भूखी रहजाती थी परन्तु उसने पति व बच्चौ को कभी भूंखा नही सोने दिया था। वह हर मुसीबत में अपने परिवार के साथ परछाई की तरह खडी़ दिखाई देती थी।

          आज शंकर को समझ में आरहा था कि पत्नी क्या होती है। सविता इतनी बीमारी में भी उनको समझाते हुए बोली," आप इतने अधिक परेशान क्यौ हो रहे हो यदि मेरा आपकी कमाई में साथ होगा तो मुझे आपसे कोई भी शक्ति दूर नही कर सकती है।  "

       परन्तु सविता ने कुछ समय बाद तीध हिचकियाँ ली और वह शंकर का साथ छोड़कर परलोक सिधार गयी।

     इसके बाद बेटा आया उसने अपनी माँ के सभी पूजा पाठ करवाये  और पन्द्रह दिन बाद पापा को साथ लेजाने के लिए बोला।

       शंकर के पास बेटे के साथ जाने के अलावा और दूसरा आप्शन नहीं था। वह अपने घर को बन्द करके बेटे के साथ जाने के लिए तैयार तो होगया लेकिन उसका दिल सविता की हर बात को याद करके परेशान था।

      शंकर बेटे के साथ शहर आगया ।लेकिन वह वहाँ एक कमरे में अकेला पडा़ रहता और सविता के बिषय में सोचता रहता था। अब उसे अपने सभी काम स्वयं ही करने पड़ते थे। बहू तो घर मे जो पकता वही  देजाती उसकी पसंद नापसंद पूछने वाला कोई नहीं था।

     बेटा भी आफिस से रात को देर से आता तबतक शंकर सोने की कोशिश कर रहा होता था अब उसकी समझ में आरहा था कि जीवन साथी के बिना जिन्दगी क्या होती है। जो कलतक उसकी परछांई बनकर उसके साथ रहती थी उसके हर सुख दुःख में  साथ खडी़ होती थी आज उसके बिना आज सब कुछ अधूरा सा नजर आता था। 

                अब उसे पत्नी का वियोग क्या होता है समझ में आरहा था। पति का पत्नी के बिनख जीवन अधूरा हो जाता है लेकिन पत्नी पति के बिना किसीभी तरह अपना जीवन काट सकती है।

        शंकर शहर में रहकर बीमार रहने लगा।  और एक दिन वह बापिस अपने गाँव आगया  और अपनी पत्नी की याद में अकेला ही रहने लगा। गाँव के लोग व उसके पडौ़सी अच्छे थे वह उसका खयाल रखते थे।

       परन्तु शंकर अपनी कल की परछाई से दूर कैसे रह सकता था और वह भी एक रात परलोकवासी हो गया।  जब गा़व वालौ को इसकी खबर हुई तब उन सभीने उसके बेटे को बुलाकर उनकी अन्तिम संस्कार करवाया।

   इस तरह वह भी  अपनी परछाईं में विलीन होगया।

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा "पचौरी "

16/08/2022


 

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14 Comments

Kusam Sharma

25-Aug-2022 02:36 PM

Nice

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Chetna swrnkar

17-Aug-2022 08:14 PM

Bahut khub

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Abhinav ji

17-Aug-2022 08:49 AM

Very nice👍

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